21 अप्रेल को मनाया जाता है सिविल सेवा दिवस, क्या है सिविल सेवा दिवस का इतिहास , कहां से शुरू हुई है ये सेवा, आइए जानते हैं

21 अप्रेल को मनाया जाता है सिविल सेवा दिवस, क्या है सिविल सेवा दिवस का इतिहास , कहां से शुरू हुई है ये सेवा, आइए जानते हैं

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21 अप्रेल को मनाया जाता है सिविल सेवा दिवस, क्या है सिविल सेवा दिवस का इतिहास , कहां से शुरू हुई है ये सेवा, आइए जानते हैं

नवधा टाइम्स(स्वप्निल खंडेलवाल): भारत में सिविल सेवा का इतिहास बहुत ही समृद्ध और प्राचीन है, जो समय के साथ कई रूपों और चरणों से गुज़रा है।

CIVIL SERVICE Day : भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ शासन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि सरकारी नीतियाँ आम जन तक कितनी प्रभावी ढंग से पहुँचती हैं। इन नीतियों को लागू करने और शासन को ज़मीनी स्तर तक प्रभावी रूप से पहुँचाने का कार्य सिविल सेवाएँ करती हैं। भारतीय प्रशासनिक ढाँचे की रीढ़ माने जाने वाले ये अधिकारी 21 अप्रैल को ‘सिविल सेवा दिवस’ के रूप में अपनी सेवा और समर्पण का स्मरण करते हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य न केवल प्रशासनिक सेवा के प्रति सम्मान व्यक्त करना है, बल्कि इन सेवाओं की गुणवत्ता और जवाबदेही को बेहतर बनाना भी है।

भारत में सिविल सेवा का इतिहास बहुत ही समृद्ध और प्राचीन है, जो समय के साथ कई रूपों और चरणों से गुज़रा है। यह इतिहास मौर्यकाल से शुरू होकर ब्रिटिश राज और फिर स्वतंत्र भारत तक विस्तारित है। नीचे भारत में सिविल सेवा के इतिहास का विस्तार से वर्णन किया गया है:-

1. प्राचीन भारत में सिविल सेवा (मौर्य और गुप्त काल)
मौर्यकाल (322–185 ई.पू.) में चाणक्य (कौटिल्य) द्वारा लिखित अर्थशास्त्र में प्रशासनिक सेवाओं का विस्तृत वर्णन मिलता है।

सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक महान के समय में एक संगठित और शक्तिशाली प्रशासनिक व्यवस्था थी।

अधिकारी वर्ग को विभिन्न पदों जैसे महामात्र, अमात्य, राजुक आदि नामों से जाना जाता था।

गुप्तकाल में भी एक सुव्यवस्थित प्रशासनिक तंत्र था, जो राजा की नीतियों को लागू करता था।

2. मध्यकालीन भारत में सिविल सेवा
इस काल में मुगल प्रशासन प्रमुख था।

अकबर के समय में मानव संसाधन और राजस्व प्रशासन बहुत सशक्त था।

टोडरमल द्वारा विकसित राजस्व प्रणाली (दहसाला प्रणाली) मुगल सिविल सेवा की एक मिसाल थी।


अधिकारी जैसे दीवान, सूबेदार, कोतवाल, अमीन आदि प्रशासनिक काम देखते थे।

3. ब्रिटिश काल में सिविल सेवा का विकास
आधुनिक भारतीय सिविल सेवा की नींव ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में पड़ी।

1800 में लॉर्ड वेलेजली ने फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की, जहाँ प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाता था।

1853 में पहली बार सिविल सेवा में प्रतियोगी परीक्षा (Competitive Exam) की शुरुआत हुई।

1854 में मैकॉले समिति ने एक आधुनिक, निष्पक्ष और मेरिट-आधारित सिविल सेवा प्रणाली की सिफारिश की।

इस व्यवस्था को Indian Civil Service (ICS) कहा गया और शुरुआत में इसमें केवल अंग्रेज़ों को चुना जाता था।

1864 में पहली बार सत्येन्द्रनाथ टैगोर भारतीय नागरिक के रूप में ICS में चुने गए।

4. स्वतंत्रता संग्राम और सिविल सेवा
कई भारतीय नेताओं ने ICS की आलोचना की क्योंकि यह ब्रिटिश हुकूमत के हितों की सेवा कर रही थी।

लेकिन महात्मा गांधी, नेहरू और सरदार पटेल जैसे नेताओं ने आज़ादी के बाद एक सक्षम सिविल सेवा को बनाए रखने की बात कही।

5. स्वतंत्र भारत में सिविल सेवा
1947 में आज़ादी के बाद भारतीय सिविल सेवा का नाम बदलकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) रखा गया।

साथ ही भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय विदेश सेवा (IFS) की भी स्थापना की गई।

सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसे ‘भारत की स्टील फ्रेम (Steel Frame of India)’ कहा और इसे एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और मजबूत संस्था बनाए रखने की वकालत की।

भारत में सिविल सेवा दिवस पहली बार 21 अप्रैल, 2006 को मनाया गया था। लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व इससे भी पहले का है। दरअसल, 21 अप्रैल, 1947 को सरदार वल्लभभाई पटेल ने दिल्ली के मेटकाफ हाउस में भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित किया था। अपने ऐतिहासिक भाषण में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा को ‘देश की स्टील फ्रेम’ कहा था। उनका यह भाषण आज भी सिविल सेवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

सरदार पटेल ने यह स्पष्ट किया कि एक मजबूत और निष्पक्ष सिविल सेवा के बिना लोकतांत्रिक भारत की कल्पना अधूरी है। उन्होंने अधिकारियों को राजनीतिक प्रभाव से दूर रहकर ईमानदारी, निष्पक्षता और कर्तव्यपरायणता से कार्य करने का संदेश दिया था।

सिविल सेवाओं का महत्व (Importance Of Civil Services)
भारतीय सिविल सेवा को देश का प्रशासनिक ढाँचा माना जाता है। ये सेवाएँ नीति निर्माण से लेकर उनके क्रियान्वयन तक की ज़िम्मेदारी निभाती हैं। कुछ प्रमुख भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:-

नीति निर्माण और कार्यान्वयन: सिविल सेवक सरकार को नीतियाँ बनाने में सहायता करते हैं और इन्हें ज़मीनी स्तर पर लागू करते हैं।

जनसेवा का माध्यम: आम नागरिकों तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाना सिविल सेवकों की ज़िम्मेदारी होती है।

न्याय और कानून व्यवस्था बनाए रखना: प्रशासनिक सेवाएँ कानून का पालन सुनिश्चित कर लोकतंत्र को मज़बूत करती हैं।

आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं या संकट की घड़ी में सिविल सेवक सबसे आगे होते हैं।

सामाजिक सुधार: शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, बाल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में इनकी भूमिका अहम होती है।

सिविल सेवा दिवस का उद्देश्य (Purpose of Civil Services Day)
इस दिन को मनाने के पीछे कई उद्देश्य होते हैं, जैसे:

-सिविल सेवकों को उनकी जिम्मेदारियों की याद दिलाना।

-उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों को सम्मानित करना।

-शासन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना।

-नवाचार और सेवा सुधार के लिए मंच प्रदान करना।

-अधिकारियों को प्रेरित करना कि वे जनहित में बिना किसी पक्षपात के कार्य करें।

कार्यक्रम और आयोजन
हर साल भारत सरकार द्वारा 21 अप्रैल को नई दिल्ली में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इसमें प्रधानमंत्री या कोई वरिष्ठ मंत्री मुख्य अतिथि होते हैं। इस अवसर पर:-

-‘प्रधानमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार’ प्रदान किए जाते हैं, जो उत्कृष्ट प्रशासनिक कार्यों के लिए दिए जाते हैं।

-अलग-अलग राज्यों के अधिकारियों के नवाचारों को प्रस्तुत किया जाता है।

-संगोष्ठियाँ और परिचर्चाएँ आयोजित की जाती हैं जिसमें नीति-निर्माण और सेवा सुधारों पर विचार-विमर्श होता है।

सिविल सेवाओं से जुड़ी प्रमुख सेवाएँ

भारत की सिविल सेवाओं को तीन मुख्य वर्गों में बाँटा जा सकता है:-

अखिल भारतीय सेवाएँ (All India Services)
भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS)

भारतीय पुलिस सेवा (IPS)

भारतीय वन सेवा (IFoS)

केन्द्रीय सेवाएँ (Central Services)
भारतीय विदेश सेवा (IFS)

भारतीय राजस्व सेवा (IRS)

भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा (IA&AS) आदि।

राज्य सेवाएँ (State Services)
राज्य प्रशासनिक सेवा (RAS)

राज्य पुलिस सेवा आदि।

इन सेवाओं के अधिकारी राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

आज के परिप्रेक्ष्य में सिविल सेवाओं की चुनौतियां
आज के समय में सिविल सेवकों को कई जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है:-

राजनीतिक दबाव: कई बार अधिकारियों को राजनीतिक हस्तक्षेप का सामना करना पड़ता है।

भ्रष्टाचार: कुछ क्षेत्रों में भ्रष्टाचार एक गंभीर चुनौती है।

प्रौद्योगिकी का उपयोग: डिजिटल युग में प्रशासन को तकनीक के साथ चलना आवश्यक है।

जन अपेक्षाएँ: आम जनता की अपेक्षाएँ बहुत अधिक हैं, जिससे सेवा दबाव में रहती है।

प्रशिक्षण और क्षमता विकास: लगातार बदलती जरूरतों के अनुसार अधिकारियों को नए कौशल सीखने होते हैं।

सुधार की दिशा में कदम
भारत सरकार ने सिविल सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कई सुधार किए हैं:-

मिशन कर्मयोगी: यह एक राष्ट्रीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य सिविल सेवकों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना है।

ई-गवर्नेंस: तकनीकी समाधान के ज़रिए पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने का प्रयास।

प्रदर्शन आधारित मूल्यांकन प्रणाली: जिससे अधिकारियों के कार्य का आकलन बेहतर ढंग से किया जा सके।

सिविल सर्विसेस (Civil Services) केवल भारत ही नहीं, बल्कि लगभग सभी देशों में होती हैं। हर देश में यह प्रशासनिक तंत्र का एक अभिन्न हिस्सा होता है जो सरकार की नीतियों को लागू करता है और जनसेवाओं को सुचारु रूप से चलाता है। अलग-अलग देशों में इसकी संरचना, नाम और चयन प्रक्रिया अलग हो सकती है, लेकिन उद्देश्य समान होता है।

भारत के अलावा कुछ प्रमुख देशों की सिविल सर्विसेस:
1. यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom)
यहाँ की सिविल सेवा दुनिया की सबसे पुरानी मानी जाती है।

ब्रिटिश सिविल सर्विस राजनीतिक रूप से निष्पक्ष मानी जाती है और यह मंत्रियों की सहायता करती है।

उच्चतम स्तर के अधिकारी ‘Permanent Secretaries’ कहलाते हैं।

2. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
अमेरिका में सिविल सेवकों को “Federal Employees” कहा जाता है।

सिविल सेवा का संचालन Office of Personnel Management (OPM) द्वारा किया जाता है।

वहाँ Senior Executive Service (SES) उच्च पदों पर तैनात होती है।

3. चीन (China)
चीन में सिविल सेवा को ‘Civil Servants’ कहा जाता है और इसे सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी दोनों नियंत्रित करते हैं।

भर्ती के लिए कठिन परीक्षाएँ होती हैं, जिन्हें National Civil Service Exam कहते हैं।

4. फ्रांस (France)
फ्रांस में सिविल सेवकों को ‘Fonctionnaires’ कहा जाता है।

यहाँ की प्रतिष्ठित École Nationale d'Administration (ENA) से निकले अधिकारी उच्च पदों पर पहुँचते हैं।

5. जर्मनी (Germany)
यहाँ सिविल सेवकों को ‘Beamte’ कहा जाता है।

वे स्थायी सरकारी कर्मचारी होते हैं और उन्हें बहुत उच्च स्तर की सुरक्षा प्राप्त होती है।

6. जापान (Japan)
जापान में सिविल सेवा को National Public Service कहा जाता है।

इसमें भर्ती के लिए Central Civil Service Exam देना होता है।

7. ऑस्ट्रेलिया (Australia)
ऑस्ट्रेलिया में सिविल सेवा को Australian Public Service (APS) कहा जाता है।

यह संघीय सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने का कार्य करती है।

हर देश की सिविल सेवा उसकी शासन प्रणाली, राजनीतिक ढाँचे और प्रशासनिक परंपराओं के अनुसार काम करती है। भारत की सिविल सेवा ब्रिटिश मॉडल से प्रेरित है, लेकिन इसे देश की ज़रूरतों के अनुसार अनुकूलित किया गया है।

सिविल सेवाएँ लोकतंत्र की आत्मा हैं। ये न केवल नीति लागू करती हैं, बल्कि नागरिकों और सरकार के बीच एक सेतु का कार्य करती हैं। 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस मनाकर हम न केवल उनके योगदान को याद करते हैं, बल्कि यह दिन सभी अधिकारियों को यह स्मरण कराता है कि उनका कर्तव्य निष्पक्ष, ईमानदार और जनहित में कार्य करना है।

वर्तमान समय की चुनौतियों के बीच अगर सिविल सेवक सरदार पटेल के मूल्यों और आदर्शों को अपनाएँ, तो भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने में ये सेवाएँ एक निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं।
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