राजस्थान में लोडिंग वाहनों में यात्रा हो रही आत्मघाती, रोज किसी ना किसी इलाके में हो रही सड़क दुर्घटना,
जयपुर: प्रदेश में सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. हर दिन किसी न किसी इलाके से सड़क दुर्घटना की खबर सामने आती है. हालात यह हैं कि परिवहन विभाग और पुलिस के लाख प्रयासों के बावजूद लोग नियम तोड़कर लोडिंग वाहनों में बेरोक-टोक यात्रा कर रहे हैं.
ट्रैक्टर-ट्रॉली, पिकअप और अन्य मालवाहक वाहनों में बैठे यात्रियों की संख्या बढ़ रही है, और इसी कारण हादसों का ग्राफ भी चिंताजनक रूप से ऊपर जा रहा है.
प्रदेश के ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में लोग बड़ी संख्या में धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं. इसके लिए पर्याप्त बसों या वैकल्पिक साधनों की कमी के चलते वे ट्रैक्टर-ट्रॉली, पिकअप या अन्य लोडिंग वाहनों का सहारा ले रहे हैं. हाल ही में दौसा ,टोंक, भीलवाड़ा और अजमेर जिलों से सड़क हादसों की खबरें सामने आईं, जहां धार्मिक स्थलों से लौटते श्रद्धालु ट्रैक्टर-ट्रॉली और पिकअप वाहनों में सवार थे. तेज रफ्तार और ओवरलोडिंग के कारण ये वाहन पलट गए और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. इन घटनाओं में कई मासूम बच्चों और महिलाओं की भी जान चली गई.परिवहन विभाग के उड़नदस्ते और स्थानीय पुलिस के सामने प्रतिदिन ऐसे वाहन गुजरते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं हो पाती. नियमों के अनुसार, लोडिंग वाहनों में किसी भी हालत में यात्रियों को बैठाने की अनुमति नहीं है. इसके बावजूद यह सिलसिला वर्षों से जारी है. हालात यह हैं कि त्योहारों और धार्मिक आयोजनों के दौरान तो यह प्रवृत्ति और भी अधिक बढ़ जाती है.
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि लोडिंग वाहनों में यात्रा करना आत्मघाती कदम है. इन वाहनों का संतुलन यात्रियों की भीड़ से बिगड़ जाता है और अचानक ब्रेक लगने पर पलटने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है. साथ ही, इन वाहनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं होती.प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या सरकार और प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती है. केवल चालान काटने या नियम पुस्तिका में प्रावधान जोड़ने से समस्या का समाधान नहीं होगा. जरूरत है कि पुलिस और परिवहन विभाग संयुक्त रूप से ऐसे वाहनों पर सख्त कार्रवाई करें और धार्मिक यात्राओं के लिए अतिरिक्त बसें या सुरक्षित वाहन उपलब्ध कराएं.लोगों को भी समझना होगा कि कुछ पैसों की बचत के लिए अपनी और अपने परिवार की जान जोखिम में डालना किसी भी तरह समझदारी नहीं है. वरना, सड़क पर मौत का यह सिलसिला यूं ही बढ़ता रहेगा.
