
सीएम भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में खान विभाग की बड़ी पहल – प्री-एम्बेडेड ब्लॉकों की नीलामी से जल्द परिचालन में आएगी खाने
जयपुर, । राजस्थान में माइनिंग सेक्टर में आत्म निर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ते हुए अब मेजर मिनरल ब्लॉकों की नीलामी के साथ ही खानों को परिचालन में लाने की तैयारी शुरु कर दी गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व व मार्गदर्शन में खान एवं भूविज्ञान विभाग द्वारा मेजर मिनरल के प्री-एम्बेडेड ब्लॉकों की नीलामी की राह प्रशस्त की है। जल्दी ही प्री-एम्बेडेड ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया आरंभ होने के साथ प्री एम्बेडेड ब्लॉकों की नीलामी करने वाला राजस्थान देश का प्रमुख और पहला राज्य बन जाएगा। हालांकि अन्य प्रदेशों में भी तैयारियां जारी है। उन्होंने बताया कि आने वाले महीने-बीस दिनों में आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने के तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। इसके बाद ई नीलामी की निविदा सूचना जारी की जा सकेगी।
खान एवं पेट्रोलियम विभाग के प्रमुख सचिव टी. रविकान्त ने बताया कि विभाग द्वारा मेजर मिनरल के चयनित ब्लॉकों के परिचालन में लाने की आवश्यक अनुमतियां पहले से ही प्राप्त कर उन्हें नीलामी की दिशा में कदम बढ़ाएं हैं। इसके लिए चयनित ब्लॉकों के लिए आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने की कार्रवाई आरएसएमईटी द्वारा की जा रही है। उन्होंने बताया कि नीलाम खानों को परिचालन में लाने के लिए राजस्थान सहित देश के अधिकांश राज्यों में वर्तमान में ढ़ाई से तीन साल लग जाते हैं। इससे निवेश, रोजगार और राजस्व प्रभावित होने के साथ ही एलओई धारक को आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने में देरी हो जाती है और खनन कार्य आरंभ नहीं हो पाता है। केन्द्र और राज्य सरकार इसके लिए गंभीर है।
रविकान्त ने बताया कि केन्द्रीय खान मंत्रालय ने एमएमडीआर एक्ट में संशोधन कर सभी राज्यों से प्राथमिकता के आधार पर पांच-पांच ब्लॉक तैयार कर इनकी आवश्यक सभी अनुमतियां पहले से ही प्राप्त कर नीलाम करने को कहा है ताकि नीलाम खाने जल्द परिचालन में आ सके। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के निर्देशों के अनुसार इसके लिए प्रोजेक्ट मानिटरिंग यूनिट घोषित कर आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने का काम उससे पूरा कराकर इसके बाद मिनरल ब्लॉकों का ऑक्शन किया जाएं। राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट आरएसएमईटी को पीएमयू घोषित कर आवश्यक अनुमतियां प्राप्त करने की जिम्मेदारी दी गई है।
प्री-एम्बेडेड का अर्थ
मिनरल ब्लॉकों की नीलामी से पहले ही आवश्यक अनुमतियां प्राप्त कर ब्लॉक की नीलामी करने की प्रक्रिया को प्री-एम्बेडेड कहा जाता है। इससे खनन ब्लॉक की नीलामी के बाद परिचालन में लगने वाले समय की बचत होने के साथ ही नीलामी में अधिक राजस्व, शीघ्र खनन कार्य आरंभ होने और निवेश, रोजगार और राजस्व में बढ़ोतरी संभव हो सकेगी। माइनिंग सेक्टर में ईज ऑफ डूइंग की दिशा में बढ़ता कदम होगा। केन्द्र सरकार भी इस पर बल दे रही है और राज्यों को कम से कम पांच-पांच प्री-एम्बेडेड ब्लॉक तैयार कर ई-नीलामी करने पर जोर दे रही है।
मिनरल ब्लॉकों की नीलामी के बाद ली जाने वाली अनुमतियां
मिनरल ब्लॉकों की नीलामी के बाद प्रिफर बिडर को एलओआई जारी होने के बाद विभिन्न विभागों व मंत्रालयों से खनन कार्य आरंभ करने से पहले अनुमतियां लेनी पड़ती है-आईबीएम-माइनिंग प्लान का अनुमोदन
वन विभाग- फारेस्ट क्लीयरेंस
पर्यावरण विभाग- टर्म ऑफ रेफरेंस (टीओआर), एंवायरमेंटल इंपेक्ट एसेसमेंट रिपोर्ट (ईआईए) व जिला कलक्टर के यहां जनसुनवाई आदि और इसके बाद सेक एवं सिया से पर्यावरण अनुमति।
प्रदूषण बोर्ड- खनन के लिए कंसेट टू ऑपरेट (सीटीओ) और कंसेट टू एस्टाबलिस (सीटीई)
राजस्व विभाग-चरागाह भूमि होने की स्थिति में राजस्व विभाग से अनुमति
विविध- अन्य आवश्यक कार्रवाई व कानूनी औपचारिकताएं
रविकान्त ने बताया कि प्री-एम्बेडेड ब्लॉकों की जियोलोजिकल रिपोर्ट, ब्लॉकों का सीमांकन, डीजीपीएस सर्वें सहित आवश्यक औपचारिकताएं आरएसएमईटी द्वारा पूरी कर ली गई है और अन्य औपचारिकताएं पूरी करने का कार्य जारी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जल्द ही अन्य अनुमतियां प्राप्त कर प्री-एम्बेडेड ब्लॉकों की सबसे पहले नीलामी करने वाला संभवतः राजस्थान सबसे पहला प्रदेश बन जाएगा। इससे प्री-एम्बेडेड नीलाम खानों में एलओआई जारी होने के बाद शीघ्र खनन कार्य आरंभ हो सकेगा। इससे खनिजों की आपूर्ति व्यवस्था में तेजी आएगी और निवेश और रोजगार वृद्धि से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा