बहुप्रतीक्षित प्रदर्शनी “चित्रायन :ए जर्नी थ्रू आर्ट” नामक एक समूह की जवाहर कला केंद्र मे लगी प्रदर्शनी – शगुन अग्रवाल ने कहा चित्रायन में आत्म-यात्रा की रंगभाषा, “चित्रायन” केवल कलाकृतियों का संग्रह नहीं, बल्कि भावनाओं की एक धारा है जो रंगों, बनावटों और रूपों के माध्यम से अभिव्यक्ति पाती है।
जयपुर:जवाहर कला केंद्र के अलंकार आर्ट गैलरी में सजी बहुप्रतीक्षित प्रदर्शनी “चित्रायन : कला के माध्यम से यात्रा” इस बार एक विशिष्ट आभा से चमक उठी—क्योंकि इसमें शगुन अग्रवाल की उपस्थिति।

पेशे से मनोवैज्ञानिक और आत्मा से कलाकार, शगुन अपनी कैनवास पर वह संसार रचती हैं जो बाहर से भीतर और भीतर से बाहर—दोनों दिशाओं में बहता है। उनकी आर्ट सीरीज़ “एक आंतरिक यात्रा” मानो मनुष्य के मानसिक परिदृश्य का नक्शा हो, जिसमें संवेदनाओं की परतें एक-दूसरे को छूती, टकराती और अंततः विलीन होती हैं। उनके कार्यों में रंग केवल रंग नहीं, बल्कि मनोभावों के स्पंदन हैं; रेखाएं केवल आकृतियां नहीं, बल्कि आत्मा की धड़कनों का स्वरूप।

कला में मनोविज्ञान का विलयन
शगुन अग्रवाल का प्रशिक्षण भले ही मनोविज्ञान में हो, पर उनकी भाषा दृश्य कला है। वह मानो हर ब्रश-स्ट्रोक में मन के छिपे रहस्यों को उजागर करती हैं। उनके लिए कैनवास एक थैरेपी-रूम है—जहां दर्शक अपने अवचेतन की परछाइयों से संवाद करने लगते हैं।उनकी कला हमें ठहरकर सोचने पर विवश करती है: क्या हम खुद को उतना जानते हैं जितना दुनिया हमें जानती है?
“शेरदिली” से कैनवास तक
जैसे अपने पॉडकास्ट “शेरदिली” में वह विचारों को साहस और आत्म-चिंतन से जोड़ती हैं, वैसे ही उनकी पेंटिंग्स भी दर्शक के भीतर सवालों की गूंज पैदा करती हैं। हर रंग, हर आकार मानो कहता है—“अपने भीतर झाँको, वहीं असली यात्रा छिपी है।”
एक दर्शक का अनुभव
उद्घाटन समारोह में मौजूद एक कला-प्रेमी ने उनकी पेंटिंग को देखते हुए कहा—“ऐसा लगता है जैसे यह चित्र मेरी ही अनकही भावनाओं को आवाज़ दे रहा हो। रंगों की गहराई में खुद को देख पाना शायद यही कला का चमत्कार है।”
कला का सार—आत्मसंवाद
शगुन अग्रवाल की कला यह याद दिलाती है कि चित्र केवल दीवार पर सजे फ्रेम नहीं, बल्कि एक आत्मसंवाद की शुरुआत हैं। उनकी दृष्टि हमें बताती है कि कला यात्रा है—भीतर जाने की, खुद को खोजने की, और फिर उस खोज को दुनिया के साथ बांटने की।
“चित्रायन: ए जर्नी थ्रू आर्ट” नामक एक समूह प्रदर्शनी में चार उभरती महिला कलाकारों – शगुन अग्रवाल, निधि चौधरी, निकिता तातेड़ और परिधि जैन की कृतियों को प्रदर्शित किया जा रहा है – जो कला प्रेमियों को कल्पना, आत्मनिरीक्षण और अभिव्यक्ति की यात्रा पर आमंत्रित करेगी।
प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुली यह प्रदर्शनी प्रकृति, पौराणिक कथाओं और मानवीय भावनाओं के विषयों को एक साथ पिरोती है। शगुन अग्रवाल द्वारा परिकल्पित, यह प्रदर्शनी प्रत्येक कलाकृति को न केवल एक पेंटिंग के रूप में, बल्कि एक दृश्य कथा के रूप में प्रस्तुत करती है, जो कलाकारों की आंतरिक यात्राओं और रचनात्मक दुनिया की झलक पेश करती है।
कला समीक्षकों के अनुसार, “चित्रायन” केवल कलाकृतियों का संग्रह नहीं, बल्कि भावनाओं की एक धारा है जो रंगों, बनावटों और रूपों के माध्यम से अभिव्यक्ति पाती है। प्रत्येक कृति दर्शक के साथ प्रतिध्वनित होती है, और प्रतिबिंब और जुड़ाव के क्षणों को जगाती है।
जयपुर की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में, यह प्रदर्शनी युवा कलाकारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो अपनी रचनात्मक आवाज को स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं, साथ ही यह आगंतुकों को रंगों और संवेदनशीलता की भाषा में एक गहन अनुभव भी प्रदान करती है।
