राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत की केंद्र में सामाजिक न्याय अधिकारिता सचिव पद पर नियुक्ति,मुख्य सचिव की पोस्ट से हटने वाले दूसरे IAS, नये मुख्य सचिव की रेस मे आनंद कुमार, अखिल अरोड़ा, अभय कुमार और संदीप वर्मा शामिल-
JAIPUR: राजस्थान के मुख्य सचिव सुधांश पंत अब दिल्ली में सेवाएं देंगे। उन्हें सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में सचिव नियुक्त किया गया है। भारत सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं।
सुधांश पंत का रिटायरमेंट फरवरी 2027 में था, लेकिन उन्होंने रिटायरमेंट से करीब 14 महीने पहले ही पद छोड़ दिया है। एक जनवरी, 2024 को उन्हें मुख्य सचिव बनाया गया था।
ब्यूरोक्रेसी की जानकार बताते हैं कि राजस्थान में यह पहला मौका है जब किसी आईएएस ने मुख्य सचिव का पद छोड़ा है। ब्यूरोक्रेसी के जानकार बताते हैं, “सुधांश पंत राज्य और केंद्र सरकार के बीच एक कड़ी के रूप में काम करते हैं।
अब वो केंद्र की योजनाओं को समय से पूरा करने की जिम्मेदारी निभाएंगे। इसलिए उनको मोदी सरकार ने दिल्ली बुला लिया है। सुधांश पंत ने मुख्य सचिव का पद क्यों छोड़ा? अब मुख्य सचिव की रेस में कौन-कौन आईएएस शामिल है।
मुख्य सचिव को केंद्र सरकार ने क्यों बुलाया?
– सुधांश पंत PM मोदी के करीबी अफसर में से एक हैं। पीएमओ में उनकी छवि अच्छी है। यहीं वजह है कि जब कोराना काल में मोदी सरकार ने उनकी सेवाएं ली थी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव बनाया था। इसके साथ ही वो राज्य के शासन और प्रशासन को लेकर अच्छी समझ रखते हैं।
– सुधांश पंत राज्य और केंद्र सरकार के बीच लिए जा रहे फैसलों में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके साथ ही केंद्र की योजनाओं को राजस्थान में लागू करने में सफल हुए हैं।
– सुधांश पंत के कार्यकाल में सभी समीक्षाएं बैठक समय से और उसका रिजल्ट भी समय से केंद्र सरकार को मिलता रहा। ऐसे में केंद्र सरकार ने उनकी कार्यप्रणाली को पसंद किया,
Sudhansh pant ने क्यों छोड़ा मुख्य सचिव का पद?
किसी भी आईएएस के लिए मुख्य सचिव बनना बड़ी उपलब्धि माना जात है। हर आईएएस चाहता है कि वह मुख्य सचिव बने। लेकिन राजस्थान के इतिहाल में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी आईएएस ने मुख्य सचिव का पद को त्याग कर दिल्ली में सेवाएं देना बेहतर समझा है। सूत्र पंत के मुख्य सचिव छोड़ने की तीन वजहें बताते हैं-
ट्रांसफर पोस्टिंग में अनदेखी सचिवालय से जुड़े सूत्र बताते है कि सुधांश पंत अपने अनदेखी से नाराज चल रहे थे। ट्रांसफर और पोस्टिंग में उनके पसंद के अधिकारी नहीं लगाए जा रहे थे। जिन अफसरों की वे जहां लगाने की सिफारिश करते थे, उन्हें वहां नहीं लगाया जाता। जैसे हाल ही में डेपुटेशन पर आए एक आईपीएस को उनकी पसंद के आधार पर नहीं लगाया गया।
फाइल नहीं भेजने से नाराज जानकार दूसरी वजह यह बताते हैं कि मुख्य सचिव सुधांश पंत को बायपास करके विभागों से जुड़ी अहम फाइलें सीधे मुख्यमंत्री में तैनात आईएएस ACS CMO के पास जाती थी। जानकार बताते हैं कि आमतौर पर विभागीय फाइलें मुख्य सचिव के जरिए ही मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचती रही है।
पसंद के अधिकारियों की नियुक्ति नहीं जून 2025 में मुख्यमंत्री के प्रिंसीपल सेक्रेटरी आलोक गुप्ता का तबादला कर दिया था। तब से ही पंत को साइडलाइन कर दिया गया था। अहम फैसले मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात आईएएस अफसर लेने लग गए। बीच-बीच में उनकी अनबन की खबरें भी आती रही थी। हालांकि, खुलकर कभी कोई बात सामने नहीं आई।
कब और कहां रहे तैनात ?
राजस्थान कैडर के 1991 बैच के आईएएस सुधांश पंत की पहली पोस्टिंग बतौर एसडीओ जयपुर में 1993 में हुई थी। इसके बाद जैसलमेर और झुंझुनूं का कलेक्टर बनाया गया था। इसके बाद विभिन्न पदों पर रहे। पिछली गहलोत सरकार में उनका तीन महीने में ही तीन बार तबादला कर दिया गया था। पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड चेयरमैन। फिर हरीशचन्द्र माथुर राजस्थान स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, जयपुर (HCM RIPA) का DG और ACS ट्रेनिंग, राजस्थान की पोस्ट पर लगाया गया है। इससे पहले जलदाय विभाग के ACS पद से उनका ट्रांसफर पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड में किया गया था। इसके बाद पंत सेंट्रल डेपुटेशन पर दिल्ली चले गए थे। जब राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ तो उन्हें दिसंबर 2023 में दिल्ली से वापस बुला लिया गया था। भजनलला सरकार ने उन्हें 1 जनवरी 2024 को मुख्य सचिव बना दिया था।
प्रदेश सरकार को झटका
शासन और सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि मुख्य सचिव सुधांश पंत का दिल्ली जाना राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। जानकार मानते हैं इस घटनाक्रम से साफ जाहिर होता है कि राजस्थान में किस अधिकारी को कहां लगाना है, सबकुछ दिल्ली से तय हो रहा है। ब्यूरोक्रेसी के हिसाब से राज्य सरकार की बात को तवज्जो नहीं दी जा रही है। जबकि केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार है। केंद्र सरकार राज्य सरकार से आईएएस अफसर मांग लेते है। लेकिन जब राज्य सरकार अपने आईएएस अफसर मांगती है तो आनकानी कर दी जाती है। हाल ही में सरकार ने अपने कैडर के दो आईएएस रोहित कुमार सिंह और सिद्धार्थ महाजन की सेवाएं लौटाने का आग्रह केंद्र से किया था, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया। जबकि केंद्र सरकार ने आईएएस केके पाठक को तुरंत रिलीव करवा लिया।
प्रदेश का अगला बॉस यानी मुख्य सचिव (CS) कौन होगा?
राजस्थान के मुख्य सचिवव सुधांश पंत के दिल्ली जाने के बाद शासन और सत्ता के गलियारों में जयपुर से दिल्ली तक यही सवाल है कि प्रदेश का अगला बॉस यानी मुख्य सचिव (CS) कौन होगा? CS की से रेस में ये नाम शामिल है। अखिल अरोरा। आनंद कुमार। अभय कुमार, संदीप वर्मा!
अखिल अरोड़ा – 1993 बैच के आईएएस अखिल अरोरा। वर्तमान में जलदाय विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव है।
भरोसेमंद अफसर की छवि है। गहलोत सरकार के जाने के बाद अखिल अरोरा और आनंद कुमार ही ऐसे अफसर थे, जिनका तबादला नहीं किया गया था। सरकार में करीब पौने दो साल तक वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रहे हैं। सीएम की पसंद के अफसर माने जाते है। हालांकि, अखिल अरोरा को मुख्य सचिव बनाने से रोकने के लिए एक लॉबी यह भी तर्क दे रही है कि अखिल अरोरा पूर्व सीएम अशोक गहलोत के करीबी है।
आनंद कुमार- 1994 बैच के आईएएस। वन एवं पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद कुमार दलित चेहरा माने जाते हैं। बेदाग छवि। सभी को साधकर चलते है। यहीं वजह है कि चाहें कांग्रेस की सरकार हो या फिर बीजेपी, अहम पदों पर तैनाती रही है। रिटायरमेंट के लिए अभी दो साल बचे है। ऐसे में एक चर्चा यह भी है कि आनंद कुमार को ब्यूरोक्रेसी की कमान सौंपी जा सकती है। उनके विरोधी तर्क देते हैं कि आनंद कुमार दबाव में काम नहीं करते है। यस मैन बनना उनका पसंद नहीं है। ऐसे में मुख्य सचिव नहीं बनाया जाए।
अभय कुमार- 1992 बैच के आईएएस। वरिष्ठता के हिसाब से प्रबल दावेदार। जातीय समीकरण उनके पक्ष में है। राजपूतों को खुश करने के लिए सरकार उन पर दांव खेल सकती है। अभय कुमार वर्तमान में जल संसाधन विभाग में
अतिरिक्त मुख्य सचिव है। हालांकि, उनको भी मुख्य सचिव बनने से रोकने के लिए एक लॉबी सक्रिय हो गई है। तर्क दे रही है कि अभय कुमार का मिलनसार अफसर नहीं है। नपे-तुले शब्दों में ही बात करना पसंद करते है।
संदीप वर्मा – 1993 बैच के IAS अधिकारी वर्तमान मे रोजगार कौशल एवं आजीविका विभाग के ACS है, संदीप वर्मा की कार्य की कार्य प्रणाली ब्यूरोक्रेसी और जनता मे नाम से जानी जाती है, वे जहाँ भी रहते है जनता के हित मे फैसले लेते है, वर्मा किसी दबाव मे कार्य नही करते, गहलोत सरकार मे भी संदीप वर्मा ने राजनीतिक दबाव मे आये बिना कर्तव्य निष्ठा और मजबूती से जनता के हित मे कार्य किया, अपने काम के प्रति सजग रहते है, काम मे टेक्नोलॉजी का उपयोग करते है, जानकारों का मानना है संदीप वर्मा को CS के पद पर लगाया जा सकता है।
