
पब्लिक फीडबैक : राजस्थान कांग्रेस में संगठन प्रभारी रंधावा फ्लाप, कोई ठोस परिणाम नहीं, अब 50 ही जिलों के अध्यक्ष बदलने पर विचार
जयपुर। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के राजस्थान में आने के बाद भी पार्टी का संगठनिक ढांचा सुधारने में कोई ठोस उपलब्धि देखने को नहीं मिली है। लंबे समय तक सक्रिय रहने के बावजूद, प्रदेश में कांग्रेस ने उल्लेखनीय कदम उठाने में विफलता दिखाई है। आम लोगों की रायशुमारी में यही बात निकलकर सामने आई है।
अब खबर है कि पार्टी आलाकमान जल्द ही राजस्थान के सभी 50 जिलाध्यक्षों को बदलने पर विचार कर रही है। बदलाव गुजरात और मध्य प्रदेश मॉडल के तहत किया जाएगा। संगठन सृजन अभियान के तहत 30 बाहरी राज्यों के नेताओं को ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है, जो हर जिले के नए जिलाध्यक्षों के पैनल तैयार करेंगे।
प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली इस पैनल पर राय देंगे। इसके बाद पैनल राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भेजा जाएगा और उनकी मंजूरी के बाद ही जिलाध्यक्षों की नई नियुक्ति की जाएगी।
विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात यह है कि राजस्थान में नियुक्त सभी 30 ऑब्जर्वर्स बाहरी राज्यों से हैं और किसी भी राजस्थान के नेता को इस महत्वपूर्ण काम में शामिल नहीं किया गया है। इस कदम से साफ़ संकेत मिलता है कि प्रदेश में संगठन सुधार में स्थानीय नेताओं की भागीदारी को सीमित रखा जा रहा है।
पूर्व विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी को तेलंगाना में ऑब्जर्वर बनाया गया है, जबकि छत्तीसगढ़ में राजस्थान के तीन नेताओं—विधायक रीटा चौधरी, कांग्रेस नेता रेहाना रियाज और सीताराम लांबा को ऑब्जर्वर नियुक्त किया गया है।
राजस्थान में पार्टी कार्यकर्ताओं और विपक्षी समीक्षकों का कहना है कि रंधावा के आने के बाद अब तक कोई स्पष्ट और प्रभावी संगठनिक कार्य नहीं हुआ है, और केवल जिलाध्यक्षों के बदलाव पर विचार करना पार्टी की गतिशीलता की कमी को उजागर करता है