आईएएस तबादला सूची: ट्रांसफर लिस्ट को लेकर बैकफुट पर सरकार, टस से मस नहीं हुए पॉवरफुल अफसर

आईएएस तबादला सूची: ट्रांसफर लिस्ट को लेकर बैकफुट पर सरकार, टस से मस नहीं हुए पॉवरफुल अफसर

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आईएएस तबादला सूची: ट्रांसफर लिस्ट को लेकर बैकफुट पर सरकार, टस से मस नहीं हुए पॉवरफुल अफसर


नवधा टाइम्स/जयपुर: बजट सत्र शुरू होने से पहले प्रदेश की भजनलाल सरकार ने पांच IAS अफसरों की ट्रांसफर लिस्ट निकाल दी लेकिन पॉवरफुल अफसरों को लेकर सरकार बैकफुट पर ही नजर आई। लिस्ट में गहलोत सरकार के समय से महकमों में जमे किसी भी पॉवरफुल IAS को नहीं बदला गया।

बजट सत्र से पहले प्रदेश की भजनलाल सरकार ने जिस हड़बड़ी में IAS अफसरों की ट्रांसफर लिस्ट निकाली है, उसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं। दरअसल बीजेपी दफ्तर से लेकर सचिवालय के गलियारों तक IAS अफसरों के ट्रांसफर लिस्ट की चर्चा थी क्योंकि पिछली गहलोत सरकार के कार्यकाल की शुरुआत से ही जो अफसर बड़े महकमों में जमे हुए थे, वे इस सरकार में भी टस से मस नहीं हुए। 


माना जा रहा था कि सरकार बजट सत्र के बाद कोई बड़ी लिस्ट जारी कर मैसेज देने की कोशिश करेगी लेकिन मंगलवार को जो तबादला सूची जारी की गई, वह महज औपचारिकता भर रही, जिन 5 अफसरों के तबादले किए गए उनमें से 3 के तबादले इसी जनवरी में हुए थे। 

इनके हुए तबादले-

अतिरिक्त मुख्य सचिव संदीप वर्मा- इन्हें जनवरी में ही पीडब्लूडी में लगाया गया था। अब इनका ट्रांसफर सीएमडी RSWC के पद पर कर दिया गया ।

प्रमुख सचिव प्रवीण गुप्ता- ये मुख्य निर्वाचन अधिकारी की जगह अब पीडब्लूडी के प्रमुख सचिव लगाए गए हैं। राज्य सरकार को इन्हें नियुक्ति देनी ही थी क्योंकि निर्वाचन आयोग ने इनकी जगह नया मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन को बना दिया था।

नवीन महाजन- ये सीएमडी RSWC थे, इन्हें मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पद पर लगाया गया है। हालांकि यह नियुक्ति एक सप्ताह पहले निर्वाचन आयोग कर चुका था।

प्रकाश चंद्र शर्मा- पिछली गहलोत सरकार में इन्हें बांसवाड़ा कलेक्टर लगाया गया था। जनवरी में भजनलाल सरकार ने इन्हें RUIDP में लगाया था। अब इन्हें सीएम का ओएसडी बनाया गया है।

हिमांशु गुप्ता- इनका तबादला भी जनवरी में उद्योग आयुक्त के पद पर किया गया था। अब इन्हें रूडा में एमडी लगाया गया है।
  
कर्मचारी केवल 2 साल, अफसर सालों साल

मुख्य सचिव सुधांश पंत कर्मचारियों की तबादला नीति तैयार करने में जुटे हैं, इनमें एक कर्मचारी को अधिकतम 2 साल एक जगह तैनाती दी जानी है लेकिन बड़े और प्रभावशाली अफसरों के लिए पॉलिसी के कायदे लागू नहीं होते। करीब 10 अफसर ऐसे हैं, जो 5 साल से सरकार के सबसे अहम महकमों में जमे हुए हैं। इनमें

वित्त विभाग के एसीएस अखिल अरोड़ा, जिनके लिए ACB ने अनुसंधान की अनुमति मांग रखी है, इसके बावजूद वे नई सरकार के चहेते अफसरों की सूची में शामिल हैं। ये 2020 से वित्त विभाग में जमे हुए हैं। वहीं डीओआईटी में इनके पद पर रहते हुए महकमे में बीजेपी ने ही इन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे और वादा किया था कि सत्ता में बीजेपी की सरकार आएगी तो इनकी जांच की जाएगी।

IAS हेमंत गेरा- ये भी 2020 से कार्मिक विभाग में तैनात हैं। आम तौर पर नई सरकार आने के बाद वित्त और कार्मिक में अपने भरोसे के अफसरों को लगाया जाता है लेकिन ये भी लंबे समय से अपने पद पर जमे बैठे हैं।
 
इनके अलावा गृह विभाग मे आनंद कुमार, टूरिज़्म विभाग मे गायत्री राठौड़, कलेक्टर जयपुर प्रकाश राजपुरोहित सहित कई और नाम हैं, जो लंबे समय से विभागों में लगे हुए हैं।
अब देखने वाली बात यह है तबादला नीति सिर्फ कागजी खानापूर्ति है, सरकार इसकी पालना सुनिश्चित करेगी या पुरानी सरकारों की तरह ही अपने चहेते अफसरों को मनचाही पोस्टिंग मिलती रहेगी। 


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