राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का जयपुर के संविधान क्लब में संवाद कार्यक्रम आयोजित – अजाक संस्था के अध्यक्ष श्रीराम चौरड़िया, संरक्षक पूर्व आईपीएस सत्यवीर सिंह, महासचिव पूरणमल बेरी, डॉ. महेंद्र कुमार आनंद, मुंशीराम और अमृतलाल अटोरिया हुए शामिल ,बैठक में अनुसूचित जाति समुदाय की लंबित समस्याओं पर हुई विस्तार से चर्चा ।
Jaipur: 19 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा जयपुर में संविधान क्लब में जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें अजाक संस्था की ओर से अध्यक्ष श्रीराम चौरड़िया,संरक्षक पूर्व आईपीएस सत्यवीर सिंह, महासचिव पूरणमल बेरी, डॉ. महेंद्र कुमार आनंद, मुंशीराम और अमृतलाल अटोरिया ने भाग लिया।
बैठक में अनुसूचित जाति समुदाय की लंबे समय से लंबित समस्याओं पर चर्चा हुई।

अध्यक्ष श्रीराम चौरड़िया ने डॉ. अंबेडकर पीठ, मूंडला में रिक्त महानिदेशक पद शीघ्र भरने, राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और SC छात्रावासों की 8000 सीटें अन्य वर्गों को दिए जाने जनजातीय क्षेत्र में 18 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के एवं भर्तियों के बाद काउंसलिंग के रास्ते पदस्थापन रोस्टर के बिंदुओं के अनुसार उनका पदस्थापन किया जाने के मामले को उठाया।
संरक्षक सदस्य सत्यवीर सिंह ने कहा कि वर्तमान में अनुसूचित जाति समाज जिन परिस्थितियों से गुजर रहा है, वह अत्यंत चिंताजनक है। शिक्षा का व्यापारीकरण हो चुका है, जिसके कारण छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति और हॉस्टल की स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है। महंगी शिक्षा के चलते हमारी युवा पीढ़ी अच्छे शिक्षा संस्थानों तक पहुँचने में असमर्थ हो रही है। कुछ बच्चे अपने संघर्ष से पढ़-लिखकर आगे बढ़ते हैं, लेकिन उनके सामने रोजगार के रास्ते निजीकरण के कारण सीमित हो जाते हैं।*
सरकारी भर्तियों की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। रिक्त पदों को हर वर्ष भरने के बजाय तीन-चार वर्षों की रिक्तियां एक साथ जोड़कर बड़ी भर्ती आयोजित की जाती है। इसमें अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवार अक्सर मेरिट सूची में पीछे चले जाते हैं, जिससे उनके भविष्य में पदोन्नति के अवसर भी सीमित हो जाते हैं। इस स्थिति में सुधार आवश्यक है। चयनित उम्मीदवारों को रोस्टर पॉइंट के अनुसार वरिष्ठता प्रदान की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करना समय की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। साथ ही युवाओं को व्यापार और निजी क्षेत्र में रोजगार के सशक्त अवसर उपलब्ध कराना भी अनिवार्य है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा 29 जुलाई 2020 को दिए गए निर्देशानुसार सभी विभागों में आंतरिक शिकायत निवारण समिति गठित की जानी थी, लेकिन आज तक राज्य में इसका पालन नहीं हुआ है। इस पर शीघ्र क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
साथ ही, आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने के प्रयासों का उन्होंने विरोध किया और कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम से संबंधित मामलों में त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी आग्रह किया कि अनुसूचित जाति कंपोनेंट प्लान और अनुसूचित जाति डेवलपमेंट फंड एक्ट के तहत राज्य की कुल जनसंख्या का 18 प्रतिशत होने के अनुपात में निर्धारित राशि केवल अनुसूचित जाति वर्ग की शिक्षा और रोजगार पर ही व्यय की जानी चाहिए।
इस अवसर पर अजाक प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को 20 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन की मुख्य माँगें –
1. SC विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति राशि OBC/EWS के बराबर की जाए और पात्रता “गैर आयकर दाता” तय की जाए।
2. कालीबाई भील स्कूटी योजना में SC छात्राओं को जनसंख्या अनुपात अनुसार 18% स्कूटी व प्रोत्साहन राशि मिले।
3. छात्रावासों की 7500 सीटें SC वर्ग को लौटाई जाएँ।
4. आरक्षण में क्रिमी लेयर लागू न की जाए।
5. SCP फंड का उपयोग शिक्षा और आजीविका सुधार में हो।
6. राजस्थान SC आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए।
7. अंबेडकर पीठ मूंडला के रिक्त पद भरे जाएँ, संस्था को रिंग रोड से जोड़ा जाए और अंबेडकर अध्ययन कोर्स पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
8. विदेशों में उच्च शिक्षा हेतु SC विद्यार्थियों को 18% आरक्षण मिले।
9. NHM, विद्या संबल, JJM, अन्नपूर्णा रसोई, मिड-डे मील आदि योजनाओं और संविदा भर्तियों में SC/ST को आरक्षण दिया जाए।
10. उचित मूल्य की दुकानों में पुरानी आरक्षण व्यवस्था बहाल की जाए।
11. सेवाओं व शिक्षा संस्थानों में SC–18% और ST–14% आरक्षण लागू किया जाए।
12. नियुक्ति और पदस्थापन में रोस्टर प्रणाली का पालन हो।
13. TSP क्षेत्र में SC का 16% आरक्षण पुनः बहाल हो और पदोन्नति भी उसी अनुसार हो।
14. सहकारी संस्थाओं में अध्यक्ष/उपाध्यक्ष पद पर SC/ST को आरक्षण मिले।
15. NTSE परीक्षा पुनः प्रारंभ की जाए।
16. अदालतों, आयोगों और उच्च न्यायालय में SC/ST को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए।
17. सभी विभागों में आंतरिक शिकायत निवारण समिति गठित की जाए।
18. रोस्टर पंजिका का नियमित संधारण और नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएँ।
19. SC कर्मचारियों पर भेदभाव और अनुशासनात्मक कार्यवाही की रोकथाम हो।
20. 2018 भारत बंद के दौरान दर्ज SC/ST मामलों को वापस लिया जाए।
