IPS तेजस्विनी गौतम ने कोटा पुलिस अधीक्षक के पद पर किया पदभार ग्रहण, कहा- अपराधियो पर होगी कठोर कार्यवाही, शहर मे शांति, आमजन मे भरोसा होगी पहली प्राथमिकता, आइये जानते है उनके जीवन और कार्यशेली के बारे मे.
JAIPUR/KOTA: 16 जून 1989, पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी में मेडिकल प्रोफेशनल दिनेश गौतम के घर एक बेटी का जन्म हुआ. नाम रखा गया तेजस्विनी. तेजस्विनी को पिता दिनेश गौतम बहुत प्रेम करते थे. जब वह थर्ड क्लास में थी तो एक दिन पापा ने उसे बताया कि ‘बिटिया, तुम्हें IAS बनना है. यह सबसे ऊंची पोस्ट होती है.’ यह बात बेटी के मन में इस कदर घर कर गई कि उसने साल 2013 में बेहद कम उम्र में UPSC निकाल लिया और बन गई IPS ऑफिसर तेजस्विनी गौतम.
तेलंगाना के हैदराबाद स्थित SVPNPA में ट्रेनिंग के बाद जयपुर के बस्सी में बतौर एएसपी पहली पोस्टिंग मिली. इसके बाद एसीबी जयपुर में एसपी, एसीबी जोधपुर में एसपी, पीएचक्यू में डीसीपी, बांसवाड़ा एसपी, राजस्थान एसओजी में एसपी, चूरू, अलवर व बीकानेर में भी एसपी, जयपुर मे DCP के रूप में सेवाएं दे चुकी हैं. अब है कोटा शहर की नई एसपी.
तेजस्वनी के करियर की बात करें तो इनके नाम कई नवाचार और समाज में सकारात्मक बदलाव जुड़े हैं. वह जब किसी समस्या को देख सुन लेती हैं तो अपने आप को रोक नहीं पाती और उसको निपटाकर ही दम लेती हैं. वह स्कूल-कॉलेज के समय से ही महिलाओं और गरीब बच्चों को मार्गदर्शन देने के लिए खुद के लिखे नुक्कड़ नाटकों का मंचन और थिएटर करती रही हैं. यह काम इन्होंने IPS बनने के बाद भी जारी रखा. इनकी जहां भी पोस्टिंग रही, नुक्कड़ नाटकों के जरिए लोगों को पुलिसिंग और कानून की पेचिदगियां समझाईं. आईपीएस तेजस्विनी ने ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से इतना जागरुक कर दिया कि इनकी पोस्टिंग के दौरान गांवों में किसी की हिम्मत नहीं होती कि वो महिलाओं पर फब्ती कस सके. कोई भी यौन शोषण की घटना होने पर गांव की लड़कियां और महिलाएं एसपी मैडम से सीधे शिकायत करतीं और तुरंत उसका समाधान हो जाता.
IPS तेजस्विनी पुलिस महकमे में भी महिलाओं के उत्पीड़न पर आवाज उठाती रही हैं. इन्होंने खुद महिला उत्पीड़न को जड़ से मिटाने का संदेश देने वाले नुक्कड़ नाटक का निर्देशन किया. महिला कांस्टेबलों के बीच मुख्य किरदार भी खुद ने ही निभाया. न केवल वह अभिनय करती हैं, बल्कि नाटकों की स्क्रिप्टिंग भी स्वयं करती हैं. शुरुआत में तो कुछ सीनियर पुलिस अधिकारियों ने इनके इन नवाचारों पर सवाल उठाए और कहा कि इन्हें पुलिसिंग नहीं आती. लेकिन जब इनके कामों को देशभर में सराहना मिली तो सबकी बोलती बंद हो गई. यहां तक कि पुलिस महानिदेशक भी इनके सपोर्ट में उतर गए और इनके नवाचारों की प्रशंसा की. इन्होंने चूरु, अजमेर, जयपुर, बांसवाड़ा में भी ऐसे प्रयोग किए और वीमन, चाइल्ड अब्यूज जैसे तमाम सोशल इश्यूज पर प्ले करवाए.
अजमेर में अंडर ट्रेनिंग एएसपी रहते हुए ही तेजस्विनी ने अपनी काबिलियत का लोहा मनवा दिया था. यहां सर्विस के दौरान जब इन्हें पता चला कि करीब 67 बच्चे रोजाना कचरा बीनने जाते हैं. उससे जो थोड़ा बहुत पैसा मिलता, उससे वे व्हाइटनर खरीद लेते. फिर रात तक घर लौटते और व्हाइटनर सूंघकर उससे नशा करते. इस दौरान तेजस्विनी ने अजमेर में प्रेरणा नामक मुहिम चलाकर नुक्कड़ नाटक के जरिए एक सप्ताह में इन बच्चों को नशे की लत छुड़ाकर उनका पुनर्वास कराया. जब कभी तेजस्विनी को रेलवे स्टेशन के पास ये बच्चे व्हाइटनर का नशा करते मिलते तो वह खुद उनकी काउंसलिंग करतीं. फिर घंटों तक समझा कर बच्चों को सामाजिक संस्था की मदद से नशे की जद से बाहर निकालती. इन 67 बच्चों को नशे की आदत छुड़ाकर तेजस्वनी ने जिंदगी की नई राह दिखाई जिससे उनकी जिंदगी संवर गई.
कोरोना के दौरान तेजस्विनी गौतम चूरू में एसपी थीं. तब इन्होंने सोशल मीडिया के 17 कैटेगरी में प्रतियोगिताएं रखीं ताकि लॉकडाउन में अधिक से अधिक लोग मनोरंजन के साथ अपने घरों में रह सकें. यही नहीं, पूरा दिन काम करने के बाद, रात समय खुद से घर पर चाय बनाकर अपने पुलिस जवानों तक पहुंंचाती. इसके अलावा, वह घर से बेसहारा जानवरों के लिए खाना भी लेकर जाती और रात को जहां भी इन्हें कोई बेजुबान दिख जाता, उसे खाना खिलाती. कोरोना काल में इन्होंने अपनी टीम के साथ हजारों गरीब और ज़रूरतमंद लोगों तक फूड पैकेट और राशन भी पहुंचाया.
जब साल 2023 में तेजस्वनी गौतम का अलवर एसपी के पद से बीकानेर में ट्रांसफर हुआ तो वह यहां की जनता से लगाव के चलते भावुक हो गई थीं. अलवर से आखिरी विदा लेते समय इन्होंने सोशल मीडिया पर कहा था कि “शायद अलवर का साथ यही तक था. कभी कभी ऐसा लगता है कि भावनाओं को समझा पाने के लिए शब्दकोश में शब्द नही मिल रहे हैं. आज अभी सुबह जब अलवर एसपी रेजिडेंस सेवा सदन से आखिरी बार निकली तो ऐसा लगा कि घर छूट गया. सरकारी नौकरी में ट्रांसफर एक प्रक्रिया है और ये पहले भी हुए हैं, पर आज अलग था. जितना सोचती थी उससे कही ज्यादा अलवर दिल में घर कर गया है. कभी आराम से जब भावनाओं का सैलाब शांत हो जाएगा तब अलवर के बारे में भी लिखूंगी, आज बस इतना कि आंखें नम हैं और मेरी टीम से मिला स्नेह अपार. धन्यवाद अलवर.” तेजस्विनी के ये शब्द दिखाते हैं कि इन्हें अलवर की जनता और अपने साथी पुलिसकर्मियों से इस हद तक लगाव हो गया था कि अलवर उनसे छूटते नहीं बन रहा था.
अक्सर देखने को मिलता है कि सरकार ज्यादा क्राइम वाले जिलों की जिम्मेदारी महिलाओं को देने से बचती है. लेकिन तेजस्विनी गौतम की कार्यशैली ऐसी रही है कि इन्हें अधिकतर फील्ड पोस्टिंग ही मिली है. चूरू राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर का वह जिला है जहां लॉरेंस बिश्नोई और संपत नेहरा गैंग का आतंक रहा है. जब गैंगस्टर्स ने पुलिस को छकाया हुआ था तो ऐसे समय में तेजस्विनी गौतम को यहां का एसपी बनाकर भेजा गया. जिले की कमान संभालते ही वह रात भर पुलिस वालों के साथ गश्त करती. देखते ही देखते इन्होंने जिले में एक हद तक गैंगवार को खत्म कर दिया. नतीजा ये रहा कि पुलिसिंग फिर पटरी पर लौटी और संपत नेहरा को पकड़ लिया गया. अपनी इसी कार्यशैली के चलते आईपीएस तेजस्विनी गौतम लगातार सरकार की गुडबुक में बनी हुई हैं.
अंतरराष्ट्रीय सराहना हुई जब जून 2025 में अमेरिकी उपराष्ट्रपति J.D. वांस का जयपुर दौरा हुआ, उस समय तेजस्विनी गौतम जयपुर (ईस्ट) की DCP थीं। उन्होंने अमेरिकी दूतावास से औपचारिक प्रशंसा प्राप्त की, क्योंकि उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था में शानदार समन्वय किया। थिएटर की शौकीन तेजस्विनी गौतम पिछले 20 सालों से रंगमंच (थिएटर) से जुड़ी हुई हैं। वे पुलिस विभाग में भी अभिनय के माध्यम से सामाजिक संदेश देती हैं और पुलिस कर्मियों को भी अभिनय के ज़रिए प्रशिक्षण देती हैं। प्रशिक्षक और शिक्षिका में वे राजस्थान पुलिस अकादमी में प्रशिक्षक भी थी। वहाँ वे मानसिक तनाव, नैतिकता, किशोर न्याय, महिला-सम्बंधित पुलिस व्यवहार, सामूहिक नेतृत्व आदि विषयों पर प्रशिक्षण देती थी.कुछ खास बाते तेजस्विनी गौतम के बारे में। तेजस्विनी गौतम एक ऐसी आईपीएस अधिकारी हैं जो सिर्फ कानून-व्यवस्था को ही नहीं, बल्कि मानवता, संस्कृति और जनसंपर्क को भी प्राथमिकता देती हैं। उनकी सोच पारंपरिक पुलिसिंग से अलग है—वे समाज से जुड़ाव, संवाद और रचनात्मकता के ज़रिए लोगों का विश्वास जीतती हैं। आईपीएस तेजस्विनी गौतम को बाकी अधिकारियों से अलग बनाती हैं ।
आज भी वे पुलिस विभाग में थियेटर को एक सामाजिक माध्यम की तरह उपयोग करती हैं। पुलिस डिपार्टमेंट में ‘कल्चरल टीम’ बनाई उन्होंने जहां भी पोस्टिंग ली, वहां की पुलिस लाइन में कल्चर और थिएटर टीम बनाई, जिसमें सिपाही और कांस्टेबल भी शामिल थे। उन्होंने उन्हें अभिनय, नाटक और गीतों के ज़रिए समाजिक मुद्दों को लेकर सशक्त बनाने का काम किया। लॉकडाउन में पुलिस बनी मनोरंजन की मिसाल कोरोना लॉकडाउन के समय उन्होंने चूरू जिले में हर शाम फेसबुक और यूट्यूब पर लाइव कार्यक्रम शुरू करवाए जिसमें डांस, संगीत, कविता, योग और मोटिवेशनल सेशन्स होते थे। यह पहल पूरे देश में पहली बार किसी आईपीएस द्वारा की गई थी।
आईपीएस तेजस्विनी का मानना है कि “पुलिस डर का नहीं, भरोसे का नाम होनी चाहिए। उन्होंने हमेशा जनता से खुलकर संवाद किया और पुलिस और नागरिकों के बीच की दूरी कम करने का प्रयास किया। योग और मानसिक स्वास्थ्य पर ज़ोर वह मानसिक तनाव को कम करने और कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए योग, ध्यान और कला को अहम मानती हैं। पुलिसकर्मियों के लिए योग वर्कशॉप्स भी करवा चुकी हैं। महिलाओं के लिए एक प्रेरणा तेजस्विनी गौतम उन गिनी-चुनी आईपीएस अफसरों में से हैं जो थियेटर, कानून और प्रशासन—तीनों को एक साथ साधने में सफल रही हैं। उनकी कार्यशैली और व्यक्तित्व कई युवा लड़कियों के लिए रोल मॉडल है।
अब कोटा शहर की नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम की प्रभावी कार्यवाही से कोटा शहर मे चाकूबाजी, सट्टे व्यापार, महिलाओं से छेडछाड़ जैसी घटनाओं पर रोक लगेगी..
