फर्जीवाड़े की नौकरी खत्म ! जलदाय विभाग ने तीन इंजीनियरों की नियुक्ति की रद्द,
जयपुरः जलदाय विभाग में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी हासिल करने वाले तीन कनिष्ठ अभियंताओं की नियुक्ति रद्द कर दी गई है. मेडिकल जांच में खुलासा हुआ कि ये तीनों अभ्यर्थी दिव्यांग श्रेणी में आते ही नहीं हैं. अब विभाग ने कार्रवाई करते हुए सभी की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है.
फर्जीवाड़े से जेईन बने इंजीनियर सरकारी सेवा से बर्खास्त
जलदाय विभाग फर्जी कागजातों से बन गए थे जेईन
अखिलेश बिंद, सतीश मीरवाल और मनीष मीणा बर्खास्त
तीनों जेईन की नियुक्त तुरंत प्रभाव से की गई निरस्त
फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर ली थी नौकरी
मेडिकल बोर्ड की जांच में हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
दरअसल राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड द्वारा 2024 में हुई कनिष्ठ अभियंता सीधी भर्ती परीक्षा के तहत इन अभियर्थियों को नियुक्ति दी गई थी. अखिलेश कुमार बिंद, सतीश कुमार मीरवाल और मनीष कुमार मीणा को राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड, जयपुर द्वारा आयोजित *कनिष्ठ अभियंता संयुक्त सीधी भर्ती परीक्षा-2024* में दिव्यांगजन श्रेणी के तहत चयनित किया गया था. इन्हें 24 सितंबर 2025 को नियुक्ति आदेश जारी कर जलदाय विभाग में कनिष्ठ अभियंता के पद पर तैनात किया गया था. जलदाय विभाग ने नियमानुसार सभी दिव्यांगजन अभ्यर्थियों की दिव्यांगता की जांच राजकीय मेडिकल बोर्ड से करवाई. जांच में यह सामने आया कि तीनों अभियंता किसी भी रूप में “दिव्यांग” की श्रेणी में नहीं आते. मेडिकल बोर्ड ने स्पष्ट रूप से कहा कि इन अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए दिव्यांग प्रमाण पत्र फर्जी, गलत या भ्रामक हैं. चीफ इंजीनियर दिनेश गोयल ने मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और नियुक्ति आदेश की शर्तों के आधार पर तीनों अभियंताओं की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का आदेश जारी किया. रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि चयनित अभ्यर्थियों ने जानबूझकर मिथ्या दस्तावेज प्रस्तुत कर दिव्यांग कोटे के अंतर्गत नियुक्ति प्राप्त की, जो कार्मिक विभाग के निर्देशों के सीधे उल्लंघन के अंतर्गत आता है.
कार्मिक विभाग के परिपत्र के अनुसार यदि किसी अभ्यर्थी द्वारा नियुक्ति के समय कोई गलत जानकारी या फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए जाते हैं, तो उसकी नियुक्ति को तत्काल रद्द किया जा सकता है और संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है. इसी आदेश के आधार पर विभाग ने यह कठोर निर्णय लिया. गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा विशेष योग्यजन (दिव्यांग) श्रेणी के लिए आरक्षित पदों पर पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कठोर नियम बनाए गए हैं. इस मामले में तीनों अभियंताओं ने न केवल इन नियमों की अवहेलना की, बल्कि वास्तविक पात्र अभ्यर्थियों का अवसर भी छीना. यह कार्रवाई विभाग की ओर से एक स्पष्ट संदेश है कि फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से सरकारी नौकरी हासिल करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. विभाग ने आगे ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए नियुक्ति प्रक्रिया में और अधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं. इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सत्यापन की आवश्यकता को रेखांकित किया है. अब फर्जी दस्तावेजों के सहारे सरकारी नौकरी हासिल करना अब आसान नहीं. सिस्टम सख्त हो रहा है और ऐसे मामलों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है
