जातिगत कॉलम के साथ पहली बार डिजिटल जनगणना होगी, व्हाट्सएप चैनल हुआ लॉन्च,राजस्थान के जनगणना निदेशक विष्णु चरण मलिक ने दी जानकारी
जयपुर: देश में 2027 में होने वाली जनगणना पहली बार डिजिटल माध्यम से आयोजित की जाएगी, जिसमें एक मोबाइल ऐप के जरिए डेटा संग्रह किया जाएगा. इस बार जनगणना इस तरह से की जाएगी कि कोई भी व्यक्ति छूटेगा नहीं. इसके लिए देश भर में 34 लाख प्रगणक तैनात किए जाएंगे. मंगलवार को राजस्थान में जनगणना के प्रचार-प्रसार के लिए जनगणना निदेशालय ने एक व्हाट्सएप चैनल लॉन्च किया है. यह पहली बार होगा, जब जातिगत कॉलम के साथ डिजिटल जनगणना की जाएगी. राज्य स्तरीय जनगणना समिति के गठन के बाद व्हाट्सएप चैनल लॉन्च किया गया है.
राजस्थान के जनगणना निदेशक विष्णु चरण मलिक ने बताया कि साल 2011 के बाद जनगणना का काम जल्द शुरू होने वाला है. साल 2021 में दस साल के अंतराल के बाद जनगणना होनी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण यह संभव नहीं हो पाई. अब यह 2027 में आयोजित की जाएगी. जनगणना- 2027 दो चरणों में की जाएगी. पहले चरण में अप्रैल से सितंबर 2026 तक मकान सूचीकरण और मकान गणना होगी, जबकि दूसरे चरण में फरवरी 2027 तक जनसंख्या की गणना की जाएगी.
पहली बार डिजिटल माध्यम का उपयोग: मलिक ने बताया कि इस बार डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके तहत एक मोबाइल ऐप (एंड्रॉइड और आईओएस) हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध होगा. इसके अलावा ‘स्व-गणना’ (Self-Enumeration) की सुविधा भी होगी, जिसमें लोग वेब पोर्टल के माध्यम से खुद अपना डेटा दर्ज कर सकेंगे.
जातिगत जनगणना भी होगी: निदेशक मलिक ने बताया कि जनगणना 1931 में परिवार के सदस्यों की जाति के आंकड़े अंतिम बार संग्रहित किए गए थे और उन्हें प्रकाशित भी किया गया था. वहीं, 1941 की जनगणना में जाति के आंकड़े एकत्र किए गए थे, लेकिन उन्हें जारी नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद जनगणना में केवल अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) की गणना की जाती रही, लेकिन 2027 की जनगणना में सभी जातियों के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे.
प्रशासनिक सीमाओं में कोई बदलाव नहीं: मलिक ने यह भी स्पष्ट किया कि जनगणना 2027 के लिए 31 दिसंबर 2025 के बाद जिलों, कस्बों, तहसीलों, राजस्व गांवों और शहरी निकायों की सीमाओं में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा, जब तक कि जनगणना का कार्य पूरा नहीं हो जाता.
राजस्थान में प्रशासनिक विस्तार: साल 2011 की जनगणना के बाद से राजस्थान में प्रशासनिक ढांचे में काफी बदलाव हुए हैं:
जिलों की संख्या 33 से बढ़कर 41 हो गई है.
तहसीलों की संख्या 244 से बढ़कर 426 हो गई है.
वैधानिक कस्बों की संख्या 185 से बढ़कर 313 हो गई है.
नगर निगम की संख्या 7 से बढ़कर 13 हो गई है.
स्वतंत्र भारत में सातवीं जनगणना: भारत की जनगणना दुनिया के सबसे बड़े प्रशासनिक अभियानों में से एक है. इसमें न केवल स्थायी निवासियों, बल्कि अस्थायी रूप से रह रहे लोगों की भी गणना की जाती है. जनगणना का इतिहास बहुत पुराना है. ऋग्वेद (800-600 ईसा पूर्व) और कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी इसका उल्लेख मिलता है. आधुनिक भारत में पहली व्यवस्थित जनगणना 1865-1872 के बीच हुई थी, जबकि पहली पूर्ण जनगणना 1881 में आयोजित की गई थी. स्वतंत्र भारत में पहली जनगणना 1951 में हुई थी और अब 2027 में सातवीं जनगणना होने जा रही है.
